Tuesday, August 9, 2011

गैस सिलेण्डर / रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’

गैस सिलेण्डर कितना प्यारा ।
मम्मी की आँखों का तारा ।।

रेगूलेटर अच्छा लाना ।
सही ढंग से इसे लगाना ।।

गैस सिलेण्डर है वरदान ।
यह रसोई-घर की है शान ।।

दूघ पकाओ, चाय बनाओ ।
मनचाहे पकवान बनाओ ।।

बिजली अगर नही है घर में ।
यह प्रकाश देता पल भर में ।।

बाथरूम में इसे लगाओ ।
गर्म-गर्म पानी से नहाओ ।।

बीत गया है वक़्त पुराना ।
अब आया है नया ज़माना ।।

जंगल से लकड़ी मत लाना ।
बड़ा सहज है गैस जलाना ।।

किन्तु सुरक्षा को अपनाना ।
इसे कार में नही लगाना ।


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