Wednesday, August 10, 2011

गंगा जमुना / इन्साफ की डगर पर

रचनाकार: शकील बदायूनी


इन्साफ की डगर पे, बच्चों दिखाओ चल के
ये देश है तुम्हारा, नेता तुम्ही हो कल के

दुनिया के रंज सहना और, कुछ ना मुँह से कहना
सच्चाईयों के बल पे, आगे को बढ़ते रहना
रख दोगे एक दिन तुम, संसार को बदल के
इन्साफ की डगर पे...

अपने हों या पराए, सब के लिए हो न्याय
देखो कदम तुम्हारा, हरगिज़ ना डगमगाए
रस्ते बड़े कठिन हैं, चलना संभल-संभल के
इन्साफ की डगर पे...

इन्सानियत के सर पे, इज़्ज़त का ताज रखना
तन मन की भेंट देकर, भारत की लाज रखना
जीवन नया मिलेगा, अंतिम चिता में जल के
इन्साफ की डगर पे...


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