रचनाकार: साहिर लुधियानवी
मेरे घर आई एक नन्ही परी
चाँदनी के हसीन रथ पे सवार
मेरे घर आई..
उसकी बातों में शहद जैसी मिठास
उसकी सासों में इतर की महकास
होंठ जैसे के भीगे-भीगे गुलाब
गाल जैसे के बहके-बहके अनार
मेरे घर आई ...
उसके आने से मेरे आंगन में
खिल उठे फूल गुनगुनायी बहार
देख कर उसको जी नहीं भरता
चाहे देखूँ उसे हज़ारों बार
मेरे घर आई ...
मैने पूछा उसे कि कौन है तू
हँसके बोली कि मैं हूँ तेरा प्यार
मैं तेरे दिल में थी हमेशा से
घर में आई हूँ आज पहली बार
मेरे घर आई ...
No comments:
Post a Comment